Monday, October 3, 2011

पहले हम गुण्डे है फिर पत्रकार : नितिन दुबे ‘‘प्रदेश टुडे’’

पहले हम गुण्डे है फिर पत्रकार : नितिन दुबे ‘‘प्रदेश टुडे’’

पहले हम गुण्डे है फिर पत्रकार : नितिन दुबे ‘‘प्रदेश टुडे’’ 

भोपाल से अजय शर्मा की रिपोर्ट

पत्रकारिता अगर गुण्डे बदमाशों का हथियार बन जाये तो पत्रकारिता का सत्यनाश होना तय है वहीं हो रहा है आजकल दैनिक ‘‘प्रदेश टुडे’’ में जो भोपाल से प्रकाशित होता है। चोरी फिर ऊपर से सीना जोरी। प्रदेश टुडे प्रबन्धन अपने विज्ञापनदाताओं के साथ धोखाधड़ी कर रहा है। वहीं अपने लुटेरेपन की हरकतों पर पर्दा डालने के लिए धमकाने, जान से मारने, उठा लेने और गाली गलौच पर उतर आया है। वाक्या ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐसोसिएशन ‘‘आइसना’’ पत्रकारों के समुह के पैतालीस हजार रूपये लेकर विज्ञापन नही छापने का है, जो सीधे-सीधे विश्वासघात है। वहीं विज्ञापन नहीं छापा गया तो ईमानदारी इस बात की होनी चाहिए की रूपया वापस कर दें। परन्तु जब नियत में खोट हो तो ‘‘राम नाम जपना पराया माल अपना’’ लगता है तो सीधे सीधे यही बताना चाहता हूं कि वेश्या भी रकम लेकर अपना वचन ईमानदारी से निभाती है, ये तो उनसे भी गये बीते है जो माल भी ले लिया और पेट पर हाथ फेरते गर्राते हुए डकारे ले रहे है। परन्तु उनको यह जान लेना चाहिये, कि विज्ञापनदताओं के साथ लूट ज्यादा दिन नहीं चलेगी बदहजमी हो गई तो, कहीं न कहीं औकना भी पड़ेगी। 

सतीश पीम्पले के गुण्डे की धमकी
 ‘‘प्रदेश टुडे’’ के पत्रकार नितिन दुबे का कहना है कि ‘‘मैं पहले गुण्डा हूं फिर पत्रकार‘‘ यह उन्होंने विनय डेविड के मोबाइल पर धमकी देते हुए कहा, क्योंकि वो अपने ‘‘प्रदेश टुडे’’ के कर्मकांडों में उलझ गया है और थाना एम.पी.नगर मे शिकायत होने पर छटपटा रहा है। वो भी जानता है कि प्रबन्धन ने कहीं न कहीं विश्वासघात किया है। परन्तु जो उसने किया वो गलत है उसने दिनांक 01 अक्टूबर 2011 को दोपहर 2.50 मिनिट पर मोबाइल पर फोन न. 0755- 3095500 जो ‘‘प्रदेश टुडे’’ का नम्बर है से गालियां दी और हाथ पैर तोडऩे, उठा लेने की धमकी दी, वही सतीश  पिम्पले द्वारा सुपारी लेने की बात कहीं। त्वरित जिसकी शिकायत विनय डेविड ने थाना एम.पी.नगर को लिखित में दी और उक्त गुण्डे बनाम पत्रकार नितिन दुबे के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की।

ज्ञात हो कि ‘‘प्रदेश टुडे’’ को 11 सितम्बर 2011 को ‘‘आइसना सम्मान समारोह 2011’’ का विज्ञापन प्रकाशित करने को दिया था, जो प्रदेश टुडे के सतीश पिम्पले द्वारा प्रकाशित नही किया गया, जिसके लिये ‘‘प्रदेश टुडे’’ को पैतालीस हजार रूपये नगद दिये गये जो वापस मांगे तो उन्होंने देने से इंकार कर दिया वही दबगंई दिखाते हुए सुपारी लेने और निपटाने की धमकियां दी, जिसके लेन देन में नितिन दुबे, उपदेश अवस्थी, विभूति शामिल है।

प्रदेश टुडे भोपाल ने विज्ञापन की राशि पैतालीस हजार रू. हड़पी

दैनिक प्रदेश टुडे भोपाल ने विज्ञापन की राशि पैतालीस हजार रू. हड़पी


* पैतालीस हजार रूपये लेकर बेईमान हुये प्रदेश टुडे प्रबंधन के सी.ई.ओ. सतीश पिम्पले
* विज्ञापनदाताओं के साथ धोखाधड़ी
* एम.पी.नगर थाने में शिकायत दर्ज रूपये न वापस जाये धमकानेे का कृत्य।

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समाचार पत्रों के नाम को कलंकित करने वाले लोगों की कमी नही है। समाचार पत्रों की आड़ में खेल खेलने वाले समाचार पत्रों के प्रबंधको ने अपनी औकात दिखा दी है। वाक्या बड़ा मजेदार और धोखाधड़ी का है ये कारनामा कर दिखाया है प्रदेश टुडे के सी.ई.ओ. सतीश पिम्पले ने जो अपने आपको तुरमखां समझ रहे है। दिनांक 11 सितम्बर 2011 को भोपाल में ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐसोसिएशन का राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह ‘‘संघर्ष 2011’’ था जिसमें देश प्रदेश से आये पत्रकारों को शुभकामनाओं दी गयी थी जिसका विज्ञापन प्रदेश टुडे को 11 सितम्बर 2011 को अन्तिम पृष्ठ पर प्रकाशित करने के लिये पैतालीस हजार का विज्ञापन दिया गया था। जिसका भुंगतान नगद विभूति को कर दिया गया और प्रदेश टुडे की 300 प्रतियां का आर्डर किया गया था। प्रदेश टुडे में उक्त विज्ञापन का प्रकाशन नही किया और जब दूसरे दिन विज्ञापन राशि वापस करने से मना कर दिया। दिनांक 21.09.2011 को जब नितिन दुबे जिसने विज्ञापन बुक किया था बात की तो उन्होंने सी.ई.ओ. सतीश पिम्पले के कार्यालय बुलाया। जिस पर संस्थान के अध्यक्ष अवधेश भार्गव एवं महासचिव विनय डेविड रूपये वापस लेने गये तो पिम्पले गंदी-गंदी गालियां देते हुए धमकाया की विज्ञापन नही छापा तो क्या हुआ, हम पैसे वापस नहीं करेंगे। इतना बुरा व्यवहार किया गया जो पत्रकार होने के नाते असहनीय था। कुछ देर बाते करने पिम्पले बोला ठीक है कल फोन पर बात करना मैं मैनेजमेन्ट से बात कर पैसे वापस कर दूंगा।
परन्तु अगले दिन 22.09.2011 को जब अवधेश भार्गव ने पिम्पले के मोबाइल पर बात की तो वही सुर दोहराते हुए पैसे वापस नहीं करूंगा तुमको जो बने वो करलो और  धमकाने लगा। जिसकी पूर्ण मोबाइल वार्ता रिकॉडिंग अवधेश भार्गव के पास सुरक्षित है।
उक्त पैतालीस हजार रूपये संस्थान का है जिसको वापस प्राप्त करने और अपराधिक कृत्य, धोखाधड़ी एवं धमकाने तथा पैसे लेकर विज्ञापन न छापने तथा अड़ीबाजी करने कर प्रकरण दर्ज कर कार्यवाहीं के लिए ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐशोसिएशन ने थाना एम.पी.नगर में थाना प्रभारी को शिकायत दर्ज करवा कर प्रदेश टुडे के सी.ई.ओ. सतीश पिम्पले सहित विज्ञापन संकलनकत्र्ता अवस्थी एवं नितिन दुबे रूपये लेने वाले विभूति के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की है। जिस पर थाना एम.पी.नगर ने 28 सितम्बर 2011 को कई पत्रकारों के बयान दर्ज किये हैं वही प्रदेश टुडे के उक्त षडय़ंत्रकारियों को नोटिस जारी किया है।

प्रदेश टुडे ने हड़प लिया विज्ञापन के पैंतालीस हजार रुपये, सीईओ दिखा रहा दबंगई

प्रदेश टुडे ने हड़प लिया विज्ञापन के पैंतालीस हजार रुपये, सीईओ दिखा रहा दबंगई 

 

: अखबार के कई लोगों को पुलिस ने नोटिस दिया : समाचार पत्रों के नाम को कलंकित करने वाले लोगों की कमी नहीं है। समाचार पत्रों की आड़ में खेल खेलने वाले समाचार पत्रों के प्रबंधको ने अपनी औकात दिखा दी है। वाकया बड़ा मजेदार और धोखाधड़ी का है, ये कारनामा कर दिखाया है प्रदेश टुडे के सीईओ सतीश पिम्पले ने, जो अपने आपको तुर्रम खां समझ रहे हैं और विज्ञापन का पैसा वापस नहीं कर रहे हैं।
दिनांक 11 सितम्बर 2011 को भोपाल में ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन का राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह ‘‘संघर्ष 2011’’ था, जिसमें देश प्रदेश से आये पत्रकारों को शुभकामनाओं दी गयी थी। प्रदेश टुडे को इस कार्यक्रम का विज्ञापन 11 सितम्बर 2011 को अखबार के अन्तिम पृष्ठ पर प्रकाशित करने के लिये पैंतालीस हजार रुपया दिया गया था, जिसका नगद भुगतान विभूति को कर दिया गया। साथ ही प्रदेश टुडे की 300 प्रतियों का आर्डर भी दे दिया गया। प्रदेश टुडे में उक्त विज्ञापन का प्रकाशन नहीं किया गया और जब दूसरे दिन विज्ञापन राशि की मांग की गई तो अखबार ने पैसे वापस करने से मना कर दिया। दिनांक 21.09.2011 को जब नितिन दुबे, जिसने विज्ञापन बुक किया था, से बात की तो उन्होंने मुझे सीईओ सतीश पिम्पले के कार्यालय बुलाया। जिस पर संस्थान के अध्यक्ष अवधेश भार्गव के साथ मैं रुपये वापस लेने गया तो पिम्पले गंदी-गंदी गालियां देते हुए धमकाया कि विज्ञापन नहीं छापा तो क्या हुआ, हम पैसे वापस नहीं करेंगे। इतना बुरा व्यवहार किया गया जो पत्रकार होने के नाते असहनीय था। कुछ देर बातें करने के बाद पिम्पले बोला ठीक है कल फोन पर बात करना मैं मैनेजमेन्ट से बात कर पैसे वापस कर दूंगा।
परन्तु अगले दिन 22.09.2011 को जब अवधेश भार्गव ने पिम्पले के मोबाइल पर बात की तो वही सुर दोहराते हुए कहा कि पैसे वापस नहीं करूंगा, तुमको जो बने वो कर लो और धमकाने लगा। जिसकी पूर्ण मोबाइल वार्ता रिकॉडिंग अवधेश भार्गव के पास सुरक्षित है। उक्त पैतालीस हजार रुपये संस्थान का है, जिसको वापस प्राप्त करने और अपराधिक कृत्य, धोखाधड़ी एवं धमकाने तथा पैसे लेकर विज्ञापन न छापने तथा अड़ीबाजी करने कर प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई के लिए ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐशोसिएशन ने थाना एमपी नगर में शिकायत दर्ज करवाया है। एसोसिएशन ने प्रदेश टुडे के सीईओ सतीश पिम्पले सहित विज्ञापन संकलनकर्ता अवस्थी, नितिन दुबे एवं रुपये लेने वाले विभूति के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने की मांग की है। जिस पर थाना एम.पी.नगर ने 28 सितम्बर 2011 को कई पत्रकारों के बयान दर्ज किये हैं तथा प्रदेश टुडे के उक्त षडय़ंत्रकारियों को नोटिस जारी किया है।
विनय जी.डेविड
महासचिव
आल इंडिया स्‍माल न्‍यूज पेपर्स एसोसिएशन
मो. 9893221036


Comments 
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written by manu dev, October 01, 2011

सतीश जी के बारे मे एक ही बात जमती है कि पाव कि चप्पल को टखने के ऊपर लाई कि सर पर चढ़ जाती है............
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written by dk, September 30, 2011
pimple to chor hi hai. jis akhbar me gaya use baitha diya. pradesh today abhi to khada bhi nahi ho paya tha lekin uski halat kharab honi suru ho gayi. pimple jahan bhi jayega yahi hona hai. dixhit ji kya soch rahe hain ye to wahi jane lekin jitna jaldi pimple ki gand me lat mar ke nikal den utna hi achha hoga. nahi to raj ka hal ho jayega aour khade hone se pahle kahin dhrasayi na ho jayen 
 
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written by ishwher singh, September 30, 2011

सतीश पिंपले तो सबसे बड़ा चोर हैं। उसने एक सीधे पत्रकर के  एकाउंट से 12000 रुपए फर्जी तरीके  से निकाल लिया। जब इसकी बैंक  में शिकायत की तो बैंक के मैनेजर ने अपनी गलती मानते हुए पूरी घटना क्र म को भूल जाने को क हा। बहुत क म लोगों को पता है कि पिंपले कं स्ल्टें सी सेवा भी संचालित क रता है । राज एक्स्प्रेस् को क रोड़ों रुपए का चूना लगाने के बाद प्रदेश टुडे को भी आर्थिक  रूप से चूना लगाया जा रहा हैं। पिंपले ने अपने ही क स्ल्टेंसी से प्रदेश टुडे के क ई काम क रवा लिये हैं और इसका भुगतान क स्ल्टेंसी के  नाम पर क र लिया है। इसके  अलावा पिंपले के  वाह न जाइ लो में भी खेल हुआ है। यह बात स्सथान के शीर्ष लोगों को पता चल गया है ।
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written by vijay thomas, September 30, 2011
सतीश पिंपले अपने आप को बहुत ही बडा प्रबंधक समझते हैं। प्रदेश टुडे से भी अच्‍छे अच्‍छे लोग टूटना आरंभ हो गए हैं। जल्‍द ही और भी लोगों के पलायन की खबर है। अपने लोगों को ढेर सारा पैसा देते हैं पिंपले और बाकी काम के लोगों को ठेंगा दिखा दिया करते हैं। पिंपले की भाषा बहुत ही अशोभनीय और आपत्तिजनक है। राज एक्‍सप्रेस का भटटा बिठाने के बाद अब प्रदेश टुडे की बारी है। पता नहीं प्रदेश टुडे प्रबंधन को इस बात का अहसास क्‍यों नहीं हो रहा है। कहा जाता है कि किसी पेड के आसपास की मिटटी हटा दी जाए तो उसकी जडें कमजोर हो जाती हैं। कुछ ही दिनों में वह पेड भरभरा कर गिर जाता है। सतीश पिंपले द्वारा राज एक्‍सप्रेस के बाद अब प्रदेश टुडे की जमीन को खोखला किया जा रहा है। आने वाले समय में अच्‍छे लोग अगर प्रदेश टुडे से नाता तोड लें तो किसी को आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए।
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written by raja, September 29, 2011
सतीश पिंपिले को कौन नहीं जानता यह इससे पहले राज एक्सप्रेस में था और अरुण सहलोत का दाया हाथ था। जब राज एक्सप्रेस आगरा चार पेज का पुलाउट डाल रहा था जब इसने ही टांग अड़ायी थी जबकि अरुण सहलोत आगरा आने का बहुत मन बना चुका था । वह अखबार के साथ साथ केबल नेटवर्क भी डाल रहा था। लेकिन इसने आगरा वालो से अपनी जुगाड़ ना बनती देख आरून सहलोत की आगरा के पत्रकारों से मिलने नहीं दिया और उसके बाद राज एक्सप्रेस का आगरा आने का सपना सपना ही रह गया।