Thursday, February 17, 2011

कलि नायक के जन्म की मनहूस घडी

कलि नायक के जन्म की मनहूस घडी

द्वारिका के घर दुर्भाग्य की दस्तक
  • एक मनहूस घडी मैं द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के घर कपूत के रूप मैं जन्मे रमेश अग्रवाल ने उस पल को कलि स्याही से रंग दिया , जिस पल उसने इस धरती पर पैर रखे ! दिन बुधवार माह नवम्बर वर्ष १९४४ , समय सुबह ५ बजे झाँसी उत्तर प्रदेश बदनसीब मान के लाल के रूप मैं रमेश का जन्म हुआ !
  • कहा जाता है की विकराल रावन ने जब अपने कदम धरती पर रखे थे , तब आसमान मैं काले काले खौफनाक बदल धरती के चारों तरफ उमड़ने घुमड़ने लगे ! चारो और से तूफ़ान व बवंडर घिर आया था , सबतरफ घनघोर अँधेरा छा गया था , हड्डियाँ , कपल आदि का जखीरा बन गया था , कुत्ते सियार चीखने चिल्लाने लगे थे , मानवता तिल तिल कर रोने लगी थी !
  • रमेश के जन्म के समय जो हुआ उसे बताने के लिएकोई वाल्मीकि पैदा नहीं हुआ ! तब किसी को की अपता था की रमेश चन्द्र अग्रवाल के पैदा होने का दिन , पत्रकारिता के इतिहास का यह कला दिन , सिर्फ एक दिन मैं न सिमटकर पूरे सामाजिक इतिहास को कलंकित कर देने वाला दिन हो जायेगा ! चलिए अब जरा रमेश के वंश की जानकारी लेते हैं!
रमेश चन्द्र अग्रवाल के दादा केशव चन्द्र के तीन पुत्र थे – द्वारिका प्रसाद , विशम्भर दयाल और महेश प्रसाद ! इनमें सबसे बड़े द्वारिका प्रसाद अग्रवाल , मंझले विशम्भर दयाल और छोटे महेश प्रसाद अग्रवाल थे |द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने दो विवाह किये ! पहली पत्नी कस्तूरी देवी से उनकी तीन संताने हुई – रमेश , मीना व नीलम | दूसरी पत्नी किशोरी देवी से उनकी शादी सन १९४४ मैं हुई | किशोरी एवी से दो संताने हुई – हेमलता व अनुराधा | रमेश की शादी शारदा देवी से हुई जिनकी तीन संताने हुई – सुधीर अग्रवाल , गिरीश अग्रवाल व पवन अग्रवाल | विशम्भर दयाल पञ्च बेटों के पिता बने | उनके बचों के नाम कैलाश , मनमोहन , अजय प्रकाश और राकेश रखे गए | महेश प्रसाद अग्रवाल के इकलौते बेटे का नाम संजय अग्रवाल है | तो यह है रमेश का खानदान |

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