कलि नायक के जन्म की मनहूस घडी
द्वारिका के घर दुर्भाग्य की दस्तक- एक मनहूस घडी मैं द्वारिका प्रसाद अग्रवाल के घर कपूत के रूप मैं जन्मे रमेश अग्रवाल ने उस पल को कलि स्याही से रंग दिया , जिस पल उसने इस धरती पर पैर रखे ! दिन बुधवार माह नवम्बर वर्ष १९४४ , समय सुबह ५ बजे झाँसी उत्तर प्रदेश बदनसीब मान के लाल के रूप मैं रमेश का जन्म हुआ !
- कहा जाता है की विकराल रावन ने जब अपने कदम धरती पर रखे थे , तब आसमान मैं काले काले खौफनाक बदल धरती के चारों तरफ उमड़ने घुमड़ने लगे ! चारो और से तूफ़ान व बवंडर घिर आया था , सबतरफ घनघोर अँधेरा छा गया था , हड्डियाँ , कपल आदि का जखीरा बन गया था , कुत्ते सियार चीखने चिल्लाने लगे थे , मानवता तिल तिल कर रोने लगी थी !
- रमेश के जन्म के समय जो हुआ उसे बताने के लिएकोई वाल्मीकि पैदा नहीं हुआ ! तब किसी को की अपता था की रमेश चन्द्र अग्रवाल के पैदा होने का दिन , पत्रकारिता के इतिहास का यह कला दिन , सिर्फ एक दिन मैं न सिमटकर पूरे सामाजिक इतिहास को कलंकित कर देने वाला दिन हो जायेगा ! चलिए अब जरा रमेश के वंश की जानकारी लेते हैं!
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