रमेश अग्रवाल को ''खलनायक'' बनाने वाले ''कलिनायक'' प्रकाशक को नोटिस जारी, प्रकरण दर्ज
विनय जी. डेविड // भोपाल (टाइम्स ऑफ क्राइम)
मोबाइल 98932 21036
अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे.......। किसी ने क्सा सटीक मुहावरा दिया है वाकई बड़ी सोच समझ कर बनाया गया होगा। अब
''कलिनायक '' कलियुग के नायक नामक पुस्तक प्रकाशित करने वाले राजस्थान कलिनायक प्रकाशक सहित इस किताब के लेखक धर्मेन्द्र शर्मा को भी भोपाल की राज्य सायबर पुलिस ने नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए बुलावा भेजा है।
''कलिनायक '' के रचियताओं को अब अदालत के चक्कर काटने पड़ सकते है। कलिनायक के लेखकों ने सोचा भी नहीं होगा देश के सबसे बड़े समाचार के मालिक
''रमेश अग्रवाल'' को खलनायक बताना कितना भारी पड़ सकता है, इस किताब में इन्होंने
''रमेश अग्रवाल'' के जन्म से लेकर अभी तक उपलब्धि मय प्रमाण के बताई है वहीं इनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को भी अहम मुद्दा बनाया गया, पुस्तक में
''रमेश अग्रवाल'' की षडय़ंत्रकारी नीतियों को विस्तार सहित खुलासा कर वाहवाहीं लूटने का प्रयास किया गया है। वहीं
भास्कर प्रबंधन ने भी धन के लोभ में अपने चेयरमेन रमेश के काले चि_े के विज्ञापन को अपने ही सामचार पत्र में प्रकाशित कर मात्र 24700 रूपये में बेआबरू कर दिया,
''रमेश अग्रवाल'' की इज्जत को तारतार करने के पश्चात जागे, भास्कर के कारिंदों ने इनकी चालो के आगे अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया।
''कलिनायक '' के प्रकाशक राजस्थान कलिनायक बीकानेर बकायदा सारी
जानकारी इस किताब की अपने बेबसाइड मेे भी लोड करके पूरी पारदर्शिता के साथ मय दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं।
http://www.rajasthankalinayak.net/ इस बेबसाइड द्वारा पाठकों को करोड़पति बनने के अवसर भी प्रदान किए है। परंतु अब यह जानकारी उपलब्ध कराने वाली साइड पर काले बादल मंडराते नजर आ रहे है। एक शिकायत पर मध्यप्रदेश की सत्य सायबर पुलि
स भदभदा रोड ने जांच शुरू कर दी है। इस प्रकरण को थाना सी.आई डी में दर्ज अपराध प्रकरण क्रमांक 1/11 धारा 500, 501, भा.द.वि. आईटीएक्ट के तहत विवेचना एवं कथन के लिए राज्य सायबर क्राइम सेल ने
''कलिनायक '' के कत्र्ताधत्र्ता को तलब किया। इस मामले में पुलिस भी फंूक फूं
क कर कदम रख रही है क्योंकि मामला दैनिक भास्कर और बड़क उद्योगपति मीडिया घराने का वहीं इसकी ताकतों के आगे प्रकरण की विवेचना भी शीघ्र पूरी करने की जबाबदारी भी तय की गई है। अब देखना यह है कि इस किताब और बेब पर उपलब्ध कराने वाले प्रकाशकों पर क्या कार्यवाहीं की जाती है।
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वहीं प्रथम और दूसरा अध्याय भी पाठकों को उपलब्ध कराया है अब इस अंक में आपको बीच का तीसरा अध्याय का शेष प्रस्तुत कर रहे है जो इस किताब का प्रकाशित अंश है......
कलिनायक किताब में प्रकाशित
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तीसरा अध्याय का शेष
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ग्वालियर का फर्जीवाड़ा
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ह रास्ता काटती बिल्ली से नहीं, साथ चलते लोगों से होशियार रहो। आइये अब थोड़ा आगे बढ़ें।
ह यह थी रमेश की चौथी शतरंंजी चाल... द्वारका के आक्रमण की पूरी मोर्चाबंदी करने के लिए अगला रमेशी पैैंंतरा:-
रमेश ने गायब किये, कंपनी के मूल दस्तावेेज
द्वारका प्रसाद ने कहा कि मेरे पुत्र रमेश ने कंपनी के डायरेक्टर डी.के.तिवारी से षड्यंत्र कर कंपनी की मूल मिनिट्स बुक एवं अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिये हैं। यह भी कहा गया कि रमेश कम्पनी की सारी किताबें उठाकर ले गया।
यह थी रमेश की पांचवीं शतरंजी चाल:- रमेश ने बनाई फर्जी मिनिट्स्स बुुक
- द्वारका प्रसाद ने कहा कि रमेश ने बिना किसी प्रकार की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग एवं एनुअल जनरल मीटिंग एजीएम किये हुए फर्जी तौर पर मिनिट्स बुक बना ली।
- द्वारका प्रसाद ने ये भी कहा कि फर्जी तौर पर बनाई मिनिट्स बुक में फर्जी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग के इन्द्राज ;म्दजतलद्ध कर दिये हैं। इसी प्रकार जनरल मीटिंग के संबंध में भी मिनिट्स बुक में फर्जी इन्द्राज (Entry) कर लिये हैं।
क्या कहने इस चार सौ बीसी के।
- द्वारका प्रसाद ने कहा कि केवल द्वारका प्रसाद, किशोरी देवी और हेमलता को उनके पदों से हटाने के लिए उन्हें बिना किसी प्रकार का नोटिस रिसीव कराए मीटिंग के इन्द्राज किये गये हैं। ऐसा इसलिए ताकि यह (Entry) किया जा सके कि वे कम्पनी एक्ट नियमों के अनुसार लगातार तीन मीटिंग में उपस्थित नहीं हुए हैं, अत: उनका ऑफिस रिक्त होना माना गया।
देेखें रमेश की उल्टी चाल, कर दिया बाप को बेेहाल
रमेश ने लगाया लांछन
रमेश की ओर से यह कहा गया कि कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की तथा एजीएम की मिनिट्स बुक द्वारका प्रसाद और हेमलता उठाकर ले गये हैं। अत: कंपनी के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए दूसरी मिनिट्स बुक तैयार की गई।
यकीनन मिनिट्स्स बुक रमेश ने ही गायब की क्योंकि-
1. शुुरू से आखिर तक प्र्रेेसेस पर रमेश का आधिपत्य रहा।
2. द्वारका प्रसाद अग्रवाल का बुक गायब करने से कोई फायदा नहीं था तो कौन कर सकता है ऐसे महान कार्य।
3. बुक गायब करने में रमेश को फायदा ही फायदा और द्वारका प्रसाद को नुकसान ही नुकसान था। जाहिर सी बात है कि द्वारका प्रसाद स्वयं को नुकसान पहुचने वाला कोई काम क्यों करेगेगा?
4. बुक गायब करने से रमेश की चोंन्दी ही चॉंदी थी, फिर भी ... चोर मचाए शोर।
इस प्रकार फर्जी तौर पर नई मिनिट्स बुक तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत कर दी। इस मिनिट्स बुक में न तो प्रत्येक पृष्ठ पर चेयरमैन के हस्ताक्षर थे और न ही इन्हें हस्तलिपि में लिया गया था और न ही ये बाइंड बुक में थे इसे कहते हैं - गधा खेत खाए, जुलाहा पीटा जाए।
सफलता का एक और...कलियुगी फंडा
इससे लौकिक सफलता का कलियुगी ''रमेशी '' फंडा ये हाथ आया कि सफल होने के लिए-
''हारने लगो तो शतरंज बिखेर दो, फिर नई बाजी नए सिरे से खेलो। ''
लगातार......
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